बाबा भँवरेश्वर मन्दिर धाम-आप भी जाने कैसे पड़ा नाम बाबा भँवरेश्वर
बाबा भँवरेश्वर मन्दिर धाम--
पौराणिक मान्यता के अनुसार--
पौराणिक मान्यता के अनुसार जिस समय पांडव अज्ञातवास का समय व्यतीत कर रहे थे उस समय उन्होंने जहां जहां भी अपना रुकने का स्थान बनाया उस जगह पर उन्होंने शिव जी की मूर्ति की स्थापना की क्योंकि कुन्ती बगैर शिव की पूजा किये बिना जल भी ग्रहण नही करती थी। उस समय इस क्षेत्र में सई नदी के किनारे विचरण करते हुये पाण्डवों ने यहा डेरा डाला। कुन्ती की नित्य पूजा को सम्पन्न कराने के लिए महाबली भीम अपनी गदा प्रहार से विशाल काय पाषाण खण्ड तोड़मंदिर का महत्व हमारे पूर्वजों के द्वारा--
मंदिर के महत्व के विषय में हमारे पूर्वजों द्वारा बताया जाता है कि यहां पर पहले विशाल जंगल हुआ करते थे । जहां गांव से जानवर चरने के लिए आते थे। जहां एक खास स्थान पर एक गाय के आने पर उसका सारा दूध स्वत: निकलने लगता था। चरवाहे जब शाम को दूध दुहते थे तो गाय दूध नहीं देती थी । इस पर चरवाहों ने खोजबीन चालू की तो पाया कि गाय अपना सारा दूध इस शिवलिंग पर गिरा देती थी तब उन्हें शिवजी की यहां पर उपस्थिति की जानकारी हुई है और उन्होंने पूजा अर्चना शुरू कर दी और यह बात बहुत दूर दूर तक फैल गई और वहां पर लोगों का आना शुरू हो गया ।
औरंगजेब का आक्रमण
आगे चलकर सुदौली के राजा रामपाल की धर्म पत्नी ने अति प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्वार करवाकर भव्य रुप दिया। आज विशाल आदि मूर्ति शिव मंदिर भवरेश्वर धाम के नाम से दूर-दूर तक प्रसिद्ध है ।
आज हजारों की संख्या में शिवजी के भक्तगण यहां आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं भक्तों का कहना है उनकी सभी मुरादें पूरी होती है। सावन के महीने में बड़ी संख्या में भक्तगण भोले को मनाने आते हैं।
यह स्थान उन्नाव लखनऊ रायबरेली के बॉर्डर पर स्थित है यहां पहुंचने के लिए लखनऊ रायबरेली और उन्नाव से लगभग दूरी 60 से 70 किलोमीटर तक की तय करना पड़ता है ।
आप लोगो से निवेदन है की आप भी एक बार भोले बाबा के दरबार जाये और भोले बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करे ।पोस्ट को पड़ने के लिए धन्यवाद और शेयर जरूर करे और कमेंट में जय भवरेश्वर बाबा जरूर लिखे --
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